Menu
blogid : 4937 postid : 204

आ रहा बसंत है …

Lahar
Lahar
  • 28 Posts
  • 340 Comments

आ रहा बसंत है ,
बढ़ रहा उमंग है ।


पुरानी पत्तियाँ है जा रही ,
नयी पत्तियाँ  है आ रही ।


टूट चुकी है टहनियाँ ,
लगती है मानो दादी
की पुरानी  कहानियाँ  ।


आ रहा बसंत है ,
बढ़ रहा उमंग है ।


तड़पा रही दिन में ,
सूर्य की कशिश है |
कर रही आलिंगन  ,
रात में चाँद की कशिश है  |


अब तो हर तरफ ,
मौसम सुहाना है |
लगता है हमे भी ,
अपना दुःख भुलाना है |


आ रहा बसंत है ,
बढ़ रहा उमंग है ।


इस बसंत में कर रहा प्रण मै  भी हूँ !
भारत को क्षितिज पर ले जाना है
क्योकि भारतीय मै  भी हूँ  ।।


आ रहा बसंत है ,
बढ़ रहा उमंग है ।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to yogi sarswatCancel reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh