दिलों की दूरियाँ
मजबूरियाँ और …….
ये दिलों की दूरियाँ .
काश ! तुम फिर लौट आते ,
काश ! वो दिन फिर से लौट आते ।
तुम्हारे जाने के बाद
अकेला सा पड़ गया हूँ ,
शायद मेरा वजूद ,
तुम से ही था ।
अकेला …. तनहा ….
गम – सुम …….
चुप – चाप …….
बेबस सा हो गया हूँ ,
शायद मेरा वजूद
तुम से ही था ।
शब् भर रोते रहना ,
मुकद्दर बन गया है मेरा
शायद होंठो की मुस्कराहट ,
तुम से ही थी ।
नींद …….. चैनो – सूकून ,
ना जाने कहाँ चले गये !
शायद इनका भी वजूद ,
तुम से ही था ।
मजबूरियाँ और …….
ये दिलों की दूरियाँ .
काश ! तुम फिर लौट आते ,
काश ! वो दिन फिर से लौट आते ।
अब तो कलम भी ,
साथ नहीं देती !
शायद मेरी कलम का वजूद ,
तुम से ही था ।
शायरी , कविता , जुगबंदियाँ
सब के सब हम से रूठ गये ,
अब तो ना जुबां पर लफ्ज़ आते है
ना कलम उन्हें कलम उन्हें लिख पाती है ।
शायद मेरी लेखनी का वजूद
तुम से ही था ।
माना गलत था मै ,
माना गलत हूँ मै !
पर जैसा भी था ,
था तो सिर्फ तेरा !
रूठने जाने से पहले ,
छोड़ जाने से पहले ,
दिल तोड़ने से पहले,
रुलाने से पहले !
सोचा तो होता एक बार ..
रहेगा ” लहर ” कैसे उम्र भर ..
तेरे बगैर ………
औरो की तरह तुम भी
छोड़ कर चले गये ..
बीच राह में …
तनहा कर गये ।
मजबूरियाँ और …….
ये दिलों की दूरियाँ .
काश ! तुम फिर लौट आते ,
काश ! वो दिन फिर से लौट आते ।
पुरानी मोहब्बत का
वास्ता है तुमको ,
हमारी मौत की दुआ ,
कर देना खुदा से तुम
वो खुदा मेरी तो सुनता नहीं है !
वो भी शुरू से तुम्हारा ही रहा है ।
मजबूरियाँ और …….
ये दिलों की दूरियाँ .
काश ! तुम फिर लौट आते ,
काश ! वो दिन फिर से लौट आते ।
.……….by Lahar
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