मुस्लिम देश और अस्थिर राष्ट्र ये दोनों शब्द अब लगभग पर्यायवाची हो गए है, अधिकतर मुस्लिम देशो में सत्ता परिवर्तन के लिए आये दिनों संघर्ष होते रहे है| लीबिया,मिस्र जैसे अनेक राष्ट्र है जहाँ सत्ता परिवर्तन के लिए खुनी संघर्ष हुआ| अब बारी है नाइजीरिया की, जो अफ्रीका का सबसे घनी आबादी वाला देश है जनवरी में हुएबम धमाको में लगभग 200 लोग मारे गए | मरने वालो में शायद कुछभारतीय भी शामिल है | नाजिरिया में लगभग 1700 भारतीय परिवार रहते है जिनकी सुरक्षा एक अहम सवाल है | जिनमे अधिकतर व्यवसायी और सुचना तकनीकी के विशेषज्ञ है | उत्तरी नाइजीरिया में हुए इस सिल – सिलेवार बम धमाको की जिम्मेदारीबोकोहरामनामक संगठन ने ली | ये संगठन पिछले कुछ महीनो से नाइजीरिया में हुए सभी धमाको में सक्रिय था | इस संगठन को कुछ स्थानीय सहयोग भी प्राप्त है | अब प्रश्न ये है की कौन हैबोकोहराम : बोकोहरामका अर्थ है – “ पश्चिमी शिक्षा प्रतिबंधित है ” | ऐसा मन जाता है कीबोकोहरामके समर्थक पवित्र कुरान शरीफ की शब्दावली से प्रभावित है “ जो अल्लाह की कही बातों में विश्वास नहीं करता वो पापी है ” | बोकोहरामका आधिकारिक नाम जमातेएहली सुन्ना लिदावति वल जिहाद है जिसका अरबी में मतलब हुआ जो लोग पैगंबर मोहम्मद की शिक्षा और जिहाद को फैलान के लिए प्रतिबद्ध होते हैं | बोकोहरामइस्लाम के उस संस्करण को प्रचलित करता है जिसमें मुसलमानों को पश्चिमी समाज से संबंध रखने वाली किसी भी राजनीतिक या सामाजिक गतिविधि में भाग लेने से वर्जित किया जाता है.इसमें चुनाव के दौरान मतदान में शामिल होना, पैंट पहनना और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा लेना शामिल है.बोकोहाराम का मकसद नाइजीरिया में इस्लामी शासन स्थापित करना है | लेकिन दुःख की बात ये है की वो इस्लामिक शासन स्थापित करने के नाम पर इस्लाम के नुमाइंदों का ही क़त्ल करता जा रहा है| हालाँकि नाइजीरिया में मुस्लिम राष्ट्रपति है फिर भीबोकोहरामउसे ऐसा देश मानता है जिसे अल्लाह में विश्वास न करने वाले लोग चला रहे है | बोकोहरामका गठन २००२ में मुस्लिम धर्मगुरूमोहम्मद युसूफ़ ने किया | शुरूवात में इस संगठन ने मस्जिद और धार्मिक स्कूल बनवाया | हालाँकि धीरे – धीरे ये संगठन राजनितिक रूप से सक्रिय हुआ | और अब ये एक विनाशकारी रूप ले चुका है | अब इस पर नियंत्रण आवश्यक हो गया है , जिस पर विश्व समुदाय को अवश्य सोचना चाहिए | हालाँकि २००९ में इस संगठन की स्थिति कमजोर हुई जब सरकारी टेलीविजन पर मोहम्मद युसूफ़ की मारे जाने की पुष्टि हुई और उनका शव भी दिखाया गया | लेकिन २०१० में नए नेता के नेतृत्व में ये संगठन फिर खड़ा हुआ और अब ये पहले से कही ज्यादा मजबूत स्थिति में था | राष्ट्रपति गुडलक जॉनथन ने जनवरी के शुरुवात में ही नाइजीरिया के योब और बोरनो राज्य मेंआपातकाल लगायाथा औरबोकोहरामसे निपटने के लिए आतंक विरोधी दस्ते की स्थापना भी की | लेकिन ये सब कोशिशे नाकाफी साबित हुई औरबोकोहरामका कहर बदसूरत जारी रहा | स्कूल , चर्च पुलिस स्टेशन पर हमले होना अब वहाँ आम बात हो गयी है | नाइजीरिया के बिगड़ते हालात पर विश्व महाशक्तियोंकी चुप्पी मन में शंकाए पैदा करती है | यहाँ तक की भारत ने भी वहाँ फंसे भारतीयों को अपने हाल पर छोड़ दिया है | अगरबोकोहाराम पर जल्द आवश्यक कदम नहीं उठाये गए तो अन्य देशों पर भी इसका असर पड़सकता है |
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