सर्वप्रथम मै उस महापुरुष को सम्पूर्ण राष्ट्र की तरफ से नमन करता हूँ जिसने सत्य , अहिंषा , प्रेम , सदभाव को जीवन की प्रयोगशाला में स्वं कर के दिखाया | मोहनदस करम चंद गाँधी कोई दिव्य बालक नहीं था , न ही उनके पास कोई अदभुत शक्ति थी वो तो बस एक आम इंसान थे हमारी और आपकी तरह फर्क तो बस इतना था हम और आप दिन भर सिर्फ सत्य और अहिंषा की सिर्फ बातें करते है , गाँधी जयंती पर लम्बे चौडें लेख लिख देते है और दुसरो को उपदेश देते है की गाँधी जी के जीवन से कुछ सीखो , उनके जैसा बनाने का प्रयास करो ! लेकिन आपन अपने दिल से पूछिये क्या हम कभी उनके जैसा बनाने का प्रयास करते है ?
उन्होंने सत्य, प्रेम और अंहिंसा के मार्ग पर चलकर यह संदेश दिया कि आदर्श जीवन ही व्यक्ति को महान बनाता है । यहां यह प्रश्न सहज उठता है कि यदि गांधी जैसा साधारण व्यक्ति महात्मा बन सकता है, तो भला हम आप क्यों नहीं ? हमारी पीढ़ी को तो विश्वास भी नहीं होता की गाँधी जी जैसा महापुरुष ने कभी जन्म भी लिया था ! क्योकि वर्तमान समय में गाँधी जी के विचार सिर्फ पुस्तको में रह गये है ये पुस्तके सिर्फ २ ओक्टुबर को ही खुलती है | गाँधी जी के अदभुत जीवन और सत्यवादी विचार को देख कर एक बार अल्बर्ट आइंटस्टाइन ने कहा था कि, आने वाली पीढ़ी शायद ही यह भरोसा कर पाये कि एक हाड़-मांस का मानव इस पृथ्वी पर चला था । जिस व्यक्ति ने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की साधना में लगा दी उस महापुरुष के चरणों में कोटिशः नमन है गांधीजी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि दृढ़ निश्चय, सच्ची लगन और अथक प्रयास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है
गाँधी जी ने राजनीती में होते हुए भी सतत्व को नहीं छोड़ा जबकि आज सतत्व में भी लोग राजनीति करते है | और आज राजनीति में लोग क्या करते है ये आप भी जानते है और हम भी | भारत की गन्दी राजनीती पर तो लिखने की इच्छा भी नहीं होती है जहा पर गाँधी नाम को भी अपने फायदे के लिए प्रयोग किया जाता है
ये चित्र आज का ही है आज सब बड़े नेता राजघाट पर पहुच रहे है क्या इन राजनेताओ पर लिखू मेरे कलम को भी शर्म आ रही है की इतने गंदे लोगो पर भारत का दायित्व है जिनका खुद का कोई नैतिक अस्तित्व नहीं है वो आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को पुष्प चडाने गये है आज राजघाट भी लज्जित हो रहा होगा की काश ये राजनेता यहाँ न आते | मै बिना फूलो की मालाओं के ही ठीक था काश ये राजनेताओ के गंदे कदम यहाँ ना पड़ते | जिस राष्ट्र की जनता के लिए गाँधी जी ने अपने सुखों का त्याग कर अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के सेवा में लगा दिया उन पर वो लोग फूल चढ़ा रहे है जो उसी राष्ट्र की उसी जनता का खून पी रहे है
अंत में कुछ बातें उन लोगो से करना चाहूँगा जो मेरे इस लेख से सहमत न हो क्योकि भारत में एक वर्ग एसा भी है जो गाँधी जी के किये गये कुछ कार्यो से असहमत हो या उनके दिल में कोई संशय हो गाँधी जी के प्रति | लेकिन एक बात मै दावे के साथ कह सकता हूँ की गाँधी जी ने हमे भाई – चारे के साथ जीना सिखाया है | उनके द्वारा किये गये कार्यो के लिए भारत उनका हमेशा कृतज्ञ रहेगा | उम्मीद है आप सब इस लेख को पढने के बाद गांघी जी के बताएं रास्ते पर चलने की कोशिश करेंगे और गाँधी जयंती को किसी दिन विशेष के साथ न जोड़ कर पुरे वर्ष हम सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे |
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