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शाम और जाम ………..

Lahar
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ए साकी पिला तू मुझको आज इतना ,

की आज मुझको होश ना रहे

ए साकी चढ़ तू मुझपे आज इतना

की उनके बिछड़ने का अफसोश ना रहे

sharabi


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है


 

पैर चल पड़ते है उस तरफ जिधर मैखाने आते है

टूटे हुए दिलो के मेले जहाँ सजाये जाते है


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है


 

एक तू ही तो है जो कल भी थी मेरी

और आज भी है सिर्फ मेरी, हा सिर्फ मेरी

 

औरो का क्या भरोसा

वे बीच में ही छोड़ जाते है

दिल तोड़ते है हमारा और

बदनाम भी हमें ही किये जाते है



शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है

 

साकी तेरे साथ ही तो

हम अपना दर्द बाटते है

एक तू ही तो है जिसके साथ

हर रात हम सुहाग रात मानते है

SHARAB


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है


 

तू चढ़ती जाती है मुझ पर इस कदर

जैसे चढ़ रही हो शाम चांदनी पर


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है


 

हर शाम से शुरू होती

अपनी सुहागरात है

मेरे और तेरे लिए तो

अब ये आम बात है


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है


 

पहले मै तुझपे चढ़ता

फिर तू मुझपे चढ़ती

चढ़ने – उतरने का

ये खेल रात भर चलता है


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है


 

प्यार से तू मुझको कही और ले जाती है

रूह को देती चैन मेरे और गम को ले जाती है


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है

 

अब तो साकी बस तेरा ही सहारा है

न कोई और अब हमारा है

बना ले तू मुझको अपना बस तेरा ही सहारा है

न जी सकूँगा अब तो मरने का इरादा है

 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है

 

देख ले ये बेवफा नहीं है

हम अकेले इस भीढ़ में

साकी तू भी चलना

साथ मेरे कब्र में


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है

 

बैठ के साकी साथ में

जाम पियेंगे रात में

साथ चलना साकी

तू भी मेरे कब्र में

port


 

तू मुझको पीना

मै तुझको पीयू

यूँ ही रात गुजरती जायेगी

तू मुझ पर शबनम की तरह चढ़ती जायेगी


 

शाम होते ही साकी तेरी याद आती है

दुड़ता हु तुझको मै गली मुहल्लों में

जाने किधर चली जाती है

 

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