अचानक क्यों लोग पसंद आने लगते है | जाने – अनजाने में वो दिल के करीब आने लगते है |
जानता है ये दिल की वो है किसी और के , फिर भी वो दिल को भाने लगते है ||
अचानक क्यों लोग पसंद आने लगते है | जाने – अनजाने में वो दिल को भाने लगते है |
और फिर हमें बीच राह में हमें छोड़ के चले जाते है , थोड़ी ख़ुशी – थोड़े गम के आंशु भीगी पलकों पर दे जाते है || और हसते हुए हमारी दुनिया से कहीं दूर चले जाते है
अचानक क्यों लोग पसंद आने लगते है | जाने – अनजाने में वो दिल को भाने लगते है |
क्या ये सिलसिला यु ही चलता रहेगा ….. दोस्ती पे प्यार यु भारी पड़ता रहेगा ||
दिमाग को तो आदत सी हो गयी है
अब तो भूल जाने की और दिल को जिद है उन्हें मानाने की
रुक जाओ कुछ दिन और
जी ले हम भी शायद कुछ दिन और
फिर चलेंगे साथ दोनों , हम होंगे दुनिया से रुखसत
और तुम जाना कही और ||
अचानक क्यों लोग पसंद आने लगते है |
जाने – अनजाने में वो दिल को भाने लगते है |
जानता हु आपकी तो आदत है ऐसी बात करने की पर ये कमबख्त दिल है की मानता ही नहीं
घूरती है ये शारारती नजरे आपको और ये कमबख्त चाहत है जो कम होती ही नहीं
अचानक क्यों लोग पसंद आने लगते है | जाने – अनजाने में वो दिल को भाने लगते है |
यदि तुम हमें छोड़ कर जाओगे कसम खुदा की हम दुनिया छोड़ जायेंगे
अचानक क्यों लोग पसंद आने लगते है | जाने – अनजाने में वो दिल को भाने लगते है |
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